Thursday, 13 December 2018

अस्थमा, काला दमा (COPD) व इन्हेलर्स

अस्थमा, काला दमा (COPD) व इन्हेलर्स।
आइये आज इन सब के बारे में सही जानकारी ले।

*अस्थमा क्या है?
यह बीमारी फेफड़े के अंदर और बाहर की सांस की नलियों में सूजन आने से होती है जिस कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। यह अटैक के समाप्त होने पर नार्मल हो जाती है।

*काला दमा क्या है?
उपर्युक्त बीमारी अगर लंबे समय तक बनी रहे तो वो काला दमा में बदल जाती है। यानी कि समय के साथ फेफड़ों व सांस की नालियों के हिस्सों को हमेशा के लिए खराब कर देती है। यह बीमारी हर अटैक के साथ धीरे धीरे बढ़ती रहती है।


*यह शरीर को कैसे प्रभावित करता है?
मरीज के खून में ऑक्सीजन (O2) की कमी और CO2 गैस की मात्रा बढ़ जाती है। जिससे शरीर के अंगों पर ऐसे खून का दुष्प्रभाव होता है।
मरीज की सांस फूलना, कमजोरी लगना और बीमारी के गंभीर स्तर पर मरीज के शरीर के और अंग फेल होने लगते है जैसे कि दिल, गुर्दे, दिमाग का कोमा में जाना इत्यादि।

*इलाज: इंजेक्शन्स, गोलिया व इन्हेलर्स?
गंभीर मरीजो को इंजेक्शन की आवश्यक्ता पड़ सकती है। अन्यथा गोलियों व सिरप से इलाज किया जा सकता है। ये दवाइया पहले खून में जाती है फिर फेफड़ों सही बाकी अंगों में भी।
   लेकिन इनहेलर हर स्थिति में जरूरी है क्योंकि ये सीधे सांस की नालियों और फेफड़ों में ज्यादा मात्रा में पहुचती है बाकी अंगों में नही।

  अब आप सोचिये इनहेलर क्यो सही इलाज है इस बीमारी के लिए।

*यह भ्रांति की इनहेलर से आदत पड़ जाती है ये बिल्कुल गलत है। 
जो मरीज सही से इलाज नही लेते है उनकी बीमारी धीरे धीरे एडवांस स्टेज पर पहुँच जाती है जिस पर मरीज की जिंदगी बहुत ही कष्टदायक हो जाती है। दवाइयां भी पूरी तरीके से आराम नही दिला पाती है।
इसलिए वक्त रहते सही इलाज ले और स्वस्थ जिये, खुल के जिये।

आप सब रीडर्स को स्वस्थ और सफल जीवन की शुभकामनाये।

No comments:

Post a Comment

अंगदान और अंग प्रत्यारोपण सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली में उपलब्ध।

National Organ and Tissue Transplant Organization (NOTTO)     अंगदान और अंग प्रत्यारोपण करने के लिए सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली में राष्...